कहते है इश्क़ के राह पर कांटे बहुत है
तुम अपने हाथो से कांटे निकलोगे
इस उम्मीद में हम हँस कर राह पार कर आये
ना माना हमने कि इश्क़ का कोई खुदा है
इबादत तो हमने तुम्हारी की, तू ही मेरा खुदा है
मौसम के मार से शज़र आज बदल गया
पर क्या मौसम है तुममे जिसने तुम्हे बदल दिया
बहते झरनों में भी एक प्यास है
तुम्हे पाने की मुझे अब भी एक आस है
वह तो बहकर भी प्यासा है
मुझे तो ठहर कर तुम्हे पाने की आशा है
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